इस सर्कस की सबसे सस्ती सीट ५० रैंड और सबसे मंहगी सीट १०० रैंड की थी।
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इस सर्कस की सबसे सस्ती सीट ५ ० रैंड और सबसे मंहगी सीट १ ०० रैंड की थी।
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सबसे सस्ती सीट चार आने की थी और एक शताब्दी बाद भी यही चवन्नी वाले ही सिनेमा, इनके सितारों, संगीत निर्देशकों और दरअसल भारत के संपूर्ण व्यावसायिक सिनेमा के भाग्य विधाता हैं।